पृथ्वी के प्रमुख घटक
पृथ्वी के संसाधन
1) वायुमंडल: वायुमंडल
पृथ्वी पर एक सुरक्षा कवच का निर्माण करता है। सबसे निम्नतम परत,
क्षोभमंडल है। क्षोभमंडल हमारे जीवित रहने के लिए एकमात्र जरूरी गरम
हिस्सा है जो केवल 12 किलोमीटर घना है। समताप मंडल 50 किलोमीटर घना है और
सल्फेट की एक परत इसमें शामिल है जो बारिश होने के लिए महत्वपूर्ण है।
इसमें ओजोन की परत भी शामिल है, जो पराबैंगनी (अल्ट्रा वायलेट) प्रकाश को
अवशोषित करती है जिसके कारण पृथ्वी पर कैंसर रोग फैलता है, इसके बगैर
पृथ्वी पर जीवन संभव नहीं है। यह एक जटिल गतिशील प्रणाली है। यदि इसकी
प्रणाली बाधित होती है तो यह पूरी मानव जाति को प्रभावित करती है। हवा के
प्रमुख प्रदूषक औद्योगिक इकाइयों द्वारा निर्मित होते हैं जो हवा में
कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और जहरीले धुएं के रूप में विभिन्न
प्रकार की गैसें छोड़ते हैं। कार्बन डाइऑक्साइड का बिलडिप (buildup) जिसे
वायुमंडल में 'ग्रीनहाउस प्रभाव' के रूप में जाना जाता है, वर्तमान ग्लोबल
वार्मिंग में अग्रणी भूमिका निभाता है।
2) जलमण्डल:
जलमंडल पृथ्वी की दो तिहाई हिस्से को कवर करता है। जलमंडल का एक प्रमुख
हिस्सा, सागर का समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र है। जबकि केवल एक छोटे से
हिस्से में ताजा पानी होता है। नदियों, झीलों और ग्लेशियरों में ताजा पानी
हमेशा वाष्पीकरण और वर्षा की एक प्रक्रिया से नवीकृत हो जाता है। इसमें से
कुछ ताजा पानी भूमिगत जलवाही स्तर में निहित होता है। वनों की कटाई जैसी
मानवीय गतिविधियां जलमंडल में गंभीर परिवर्तन अथवा संकट पैदा करती हैं। जब
एक बार वनस्पति की भूमि परत निकल जाती है तो बारिस के कारण मिट्टीसमुद्र
में बह कर चली जाती है / इसी प्रकार उद्योग और सीवेज से रसायन नदियों और
समुद्र में बहने या फैलने लगते हैं।
कॉलिफोर्म मानव आंतों में पाया जाने वाला एक
बैक्टीरिया का समूह है जिसकी पानी में उपस्थिति, सूक्ष्मजीवों रोगों को
जन्म देने के कारण बनता है।
गंगा एक्शन प्लान: गंगा में पानी की बहुत खराब गुणवत्ता के कारण यह करोड़ों रुपये के परियोजना की शुरूआत 1985 में की गयी थी।
3) स्थलमंडल:
स्थलमंडल का गठन एक गर्म पदार्थ के रूप में लगभग 4.6 बिलियन वर्ष पहले हुआ
था। लगभग 3.2 अरब साल पहले पृथ्वी काफी ठंडी हो गयी और अदभुत घटना घटित
हुई- कि हमारे नक्षत्र पर जीवन की शुरूआत हुई। पृथ्वी की पपड़ी 6 या 7
किलोमीटर घनी या मोटी है और महाद्वीपों में बंटी हुई है। स्थलमंडल के 92
तत्वों में केवल आठ क्रस्टल चट्टाने ही आम घटक हैं। इन घटकों में होती हैं:
- 47%, ऑक्सीजन होती है
- 28% सिलिकॉन होती है,
- 8%, अल्युमिनियम होती है
- 5%, आयरन होती है
- जबकि सोडियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम और कैल्शियम प्रत्येक 4% निहित होती है।
मिट्टी एक मिश्रण
है। इसमें चट्टान के छोटे कण (विभिन्न आकार के) शामिल होते हैं। इसमें
जीवीत जीवों के सड़े हुए टुक़डे (मल) भी शामिल होते हैं। जिसे खाद कहा जाता
है। इसके अतिरिक्त, मिट्टी की गुणवत्ता का निर्णय इसमें
पाये जाने वाले कणों के आकार से किया जाता है। मिट्टी की गुणवत्ता का
निर्णय खाद और इसमें पाये जाने वाले सूक्ष्म जीवों की मात्रा से लिया जाता
है। खाद मिट्टी की संरचना तय करने में एक प्रमुख कारक है क्योंकि इस कारण
मिट्टी और अधिक छिद्रपूर्ण हो जाती है और पानी तथा हवा को भीतर तक भूमिगत
होने में मदद करती है। खनिज पोषक तत्व जो विशेष मिट्टी में पाये जाते हैं
वो उन चट्टानों पर निर्भर रहते हैं जिनसे उनका निर्माण होता है। एक मिट्टी
की पोषक तत्व सामग्री, खाद में मौजूद इसकी मात्रा और मिट्टी की गहराई के कुछ कारक यह निर्णय करते हैं कि धरती पर कौन से पौधे पनप सकते हैं।
जीवमंडल: यह पृथ्वी पर अपेक्षाकृत पतली परत है जिसमें जिंदगी मौजूद हो सकती है। इसमें हवा, पानी, चट्टानें
और मिट्टी जो संरचनात्मक और कार्यात्मक पारिस्थितिक इकाइयों का गठन करती
हैं जिसे एक साथ विशाल वैश्विक जीवित रहने वाले प्रणाली के रूप में जाना जा
सकता है और इसे हमारी पृथ्वी के रूप में जाना जाता है। इस ढांचे के भीतर, मोटे
तौर पर इसी तरह के भूगोल और जलवायु की विशेषता के साथ-साथ पौधों और पशु
जीवन के समुदायों के विभिन्न जैव भौगोलिक स्थानों को सुविधानुसार विभाजित
किया जा सकता है। ये अलग-अलग महाद्वीपों में होते हैं। इन के भीतर, छोटी-छोटी
जैव-भौगोलिक इकाइयां संरचनात्मक अंतर के आधार पर पहचानी जा सकती हैं और
विशिष्ट जानने योग्य पारिस्थितिक तंत्र के कार्यात्मक पहलुओं के एक
परिदृश्य को एक विशिष्ट गुण प्रदान करते हैं। इस पारिस्थितिक तंत्र को
समझने के लिए एक सरलतम उदाहरण एक तालाब है। यह किसी भी अन्य पारिस्थितिकी
तंत्र की प्रकृति को समझने के लिए एक मॉडल के रूप में इस्तेमाल किया जा
सकता है और मूल्यांकन करने के लिए समय परिवर्तन के साथ इसे किसी भी
पारिस्थितिकी तंत्र में देखा जा सकता है।
कायान्तरित/ रूपांतरित चट्टानें – आवसादी और आग्नेय चट्टानों में ताप और दाब के कारण परिवर्तन या रूपान्तरण हो जाने से कायान्तरित चट्टानों का निर्माण होता है !
मूल चट्टान – कायान्तरित चट्टान
चट्टानें
- चट्टान पृथ्वी की सतह के कठोर भाग होते है जो पृथ्वी की बाहरी परत की संरचना की मूलभूत इकाइयाँ (Fundamental Units) है !
- इन्हीं चट्टानों से पर्वत और पठारों का पृथ्वी पर निर्माण हुआ है !
- पृथ्वी की ऊपरी परत Crust का निर्माण चट्टानों से हुआ है !
- चट्टानों का अध्ययन करने वाले विज्ञान को Patrology कहते है !
- चट्टान भू-पटल में पाए जाने वाले ठोस पदार्थ है जो खनिजों के समूह होते है !
- भू-पटल में पाए जाने वाले चट्टान निर्माणकारी खनिजों (Formating minerals) में फेल्सपार (Felspar) सबसे अधिक पाया जाता है !
- अब तक पृथ्वी मे पाए जाने वाले कुल 118 तत्व पाए गए है !
- इनमें से 8 तत्व Crust के 98% भाग का निर्माण करते है !
चट्टानों के प्रकार (Types of Rocks) –
- आग्नेय चट्टान (Igneous Rocks)
- अवसादी/ परतदार (Sedimentary rocks)
- रूपातंरित / कायान्तरित (Metamorphic Rocks)
आग्नेय चट्टानें –
- पृथ्वी की उत्पत्ति के बाद सबसे पहले इन्हीं चट्टानों का निर्माण हुआ है !
- इसलिए इन्हें प्राथमिक चट्टान कहा जाता है !
- आग्नेय चट्टानों का निर्माण मेग्मा तथा लावा के ठण्डे होकर जमा होने से होता है !
- आग्नेय चट्टानों मे परतों (Layers) का अभाव पाया जाता है !
- ये चट्टानें ज्वालामुखी क्षेत्रों में अधिक पाई जाती है !
- आग्नेय चट्टानों में धात्विक खनिज (Metalic Minerals) अधिकता मे पाए जाते है !
- आग्नेय चट्टानों में जीवाष्म (Fossils) का अभाव पाया जाता है !
- Granite, Besalt, Grabo, Diorite, Pegmatites, Syenite
GK Trick
बेबी की गैस पर ग्रीन पेडा
बे - बेसाल्ट
बी - बिटुमिनस कोयला
गै - ग्रेबो
स - साइनाइट
ग्रीन -ग्रेनाइट
पे - पेग्माटाइट
डा - डायोराइट
अवसादी चट्टानें –
- परतदार अवसादी चट्टानों का निर्माण नदी, वायु, सागरी तरंगों के चट्टानी अपरदन क्रिया से प्राप्त पदार्थों के जमाव से होता है !
- इन चट्टानों में जीवाष्म (Fossils) की प्रप्ति होती है !
- सम्पूर्ण भू पृष्ठ (Earth surface) के लगभग 75% भाग पर अवसादी चट्टानों का विस्तार पाया जाता है !
- जबकि भू पृष्ठ की बनावट में अवसादी चट्टानों का योगदान मात्र 5% है !
- अवसादी चट्टानों मे खनिज, तेल की प्राप्ति होती है !
- उदा. चूना पत्थर (Lime Stone), कोयला, बलूआ पत्थर (Sand Stone), चीका मिट्टी (Clay)
- अवसादी चट्टानों में सबसे अधिक भाग Clay 80% का होता है !
कायान्तरित/ रूपांतरित चट्टानें – आवसादी और आग्नेय चट्टानों में ताप और दाब के कारण परिवर्तन या रूपान्तरण हो जाने से कायान्तरित चट्टानों का निर्माण होता है !
मूल चट्टान – कायान्तरित चट्टान
- ग्रेनाइट – नीस
- बेसाल्ट – ग्रेबो
- बलुआ पत्थर – क्वार्टजाइट
- शैल – स्लेट
- स्लेट – फाइलाइट
- चूना पत्थर – संगमरमर
- फाइलाइट – सिस्ट
- कोयला – ग्रेफाइट
- ग्रेफाइट – हीरा
- बेसाल्ट में लोहे की मात्रा सर्वाधिक होती है। इस चट्टान के क्षरण से काली मिट्टी बनती है !
- ग्रेनाइट अम्लीय आग्नेय चट्टान है, इसमें सिलिका की मात्रा अधिक होती है !
- बेसाल्ट, ग्रेब्रो एवं रायोलाइट क्षारीय आग्नेय चट्टानें है। इनमें फेरी-मैग्नीषियम की प्रधानता होती है। इनका रंग अधिक गहरा होता है !
- दामोदर महानदी तथा गोदावरी नदी बेसिनों की अवसादी चट्टानों में कोयला पाया जाता है !
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